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अर्धनिर्मित होने के एहसास में

सूर्य आज तक फेरी लगाता है

आसमान और धरती के अर्धर्निर्मित मिलन को

बस अनंत ही तो समझाता है

हम कल्पना करते हैं सृष्टि के रहस्यों की

पर सदियों से पृथ्वी का प्राण बनी इस हवा को

हर शख्स से गुजरना कौन बताता है

अर्ध निर्मित है दुनिया हमारी

तभी तो देखते देखते वक्त बदल जाता है

अर्ध निर्मित ही तो है यह एहसास जो भावनाओं को शब्दों का रूप दे जाता है

किताब का आखरी पन्ना पढ़ने के बाद भी उस कहानी का किरदार सदा के लिए यूं ही साथ ठहर जाता है

अर्धनिर्मित ही तो थी वह कहानी

भला किसी और को कोई पूरा कहां लिख पाता है।।

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Ritanj_Rhythms
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Written by Ritanj_Rhythms

Time is precious, waste it wisely. Read my writings .. thank u <3

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